जन्माष्टमी शायरी

वो दिन कभी न आए, हद से ज्यादा गरूर हो जाये, बस इतना झुका कर रखना “मेरे कन्हैया” की हर दिल दुआ देने को मजबूर हो जाये

जन्माष्टमी शायरी

साँवरे को दिल में बसा कर तो देखो, दुनिया से मन को हटा के देखो, बड़े ही दयालु हैं बाँके बिहारी, एक बार चौखट पे दामन फैला कर तो देखो….

जन्माष्टमी शायरी

मेरे दिल की दीवारों पर श्याम तुम्हारी छवि हो, मेरे नैनो की पलकों में कान्हा तस्वीर तेरी हो, बस और न मांगू तुझसे मेरे गिरधर… तुझे हर पल देखू मेरे कन्हैया ऐसी तकदीर हो मेरी

जन्माष्टमी शायरी

उन्होंने नस देखि हमारी और बीमार लिख दिया… रोग हमने पूछा तो वृंदावन से प्यार लिख दिया… कर्जदार रहेगे उम्र भर हम उस वैद के जिसने दवा में.. “श्री राधे कृष्ण” नाम लिख दिया…

जन्माष्टमी शायरी

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